इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट
एक अजनबी का रहस्य || Xafar Space
एक अजनबी का रहस्य || Xafar Space रात का समय था और शहर में चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था। एकांत सड़क पर चलती हुई एक कार अचानक रुक गई। कार से एक व्यक्ति बाहर निकला, जिसका चेहरा नकाब से ढका हुआ था। उसने इधर-उधर देखा और एक सुनसान घर की तरफ बढ़ने लगा। उस घर में कई सालों से कोई नहीं रहता था, लेकिन हाल ही में उसमें हलचल देखी जा रही थी। वह अजनबी धीरे-धीरे घर के अंदर घुसा और अंधेरे में टॉर्च की रोशनी से रास्ता बनाते हुए एक कमरे में पहुंचा। कमरे के बीचोंबीच एक पुराना संदूक रखा हुआ था। अजनबी ने उसे खोलने की कोशिश की, लेकिन ताला नहीं खुला। उसने अपनी जेब से चाबी निकाली और ताला खोल दिया। संदूक के अंदर पुरानी किताबें, कुछ तस्वीरें और एक छोटा सा बॉक्स था। अजनबी ने वह बॉक्स खोला और अंदर से एक पुरानी डायरी निकाली। वह डायरी किसी राज़ को छुपाए हुए थी। अजनबी ने ध्यान से डायरी के पन्ने पलटने शुरू किए और एक खास पन्ने पर रुक गया। उस पन्ने पर एक नक्शा बना हुआ था, जो किसी गुप्त स्थान का संकेत दे रहा था। अचानक, एक आवाज ने अजनबी को चौकन्ना कर दिया। उसने पीछे मुड़कर देखा, लेकिन वहां कोई नहीं था। उस
छुट्टियों पर जाने की योजना || Horror Story
छुट्टियों पर जाने की योजना || Horror Story प्रियांशु एक 21 साल का युवा था, जो अपने दोस्तों के साथ छुट्टियों पर जाने की योजना बना रहा था। उन्हें एक दूसरे शहर जाना था, और उन्होंने इसके लिए एक बस बुक की थी। बस का समय रात का था, और वह सुनसान रास्तों से गुजरने वाली थी। रात 11 बजे प्रियांशु और उसके दोस्त बस स्टैंड पर पहुंचे। बस में चढ़ते ही उन्होंने देखा कि बस में बहुत कम लोग थे, ज्यादातर सीटें खाली थीं। बस का माहौल थोड़ा अजीब और डरावना था, लेकिन उन्होंने इसे नजरअंदाज कर दिया। प्रियांशु और उसके दोस्तों ने पीछे की सीटें चुनी और अपनी यात्रा शुरू की। कुछ समय बाद, बस ने एक जंगल के पास आकर अचानक ब्रेक लगाया। ड्राइवर ने बताया कि बस में कुछ तकनीकी खराबी आ गई है और इसे ठीक करने में कुछ समय लगेगा। प्रियांशु और उसके दोस्तों ने बस से बाहर आकर ताजगी लेने का फैसला किया। बाहर का मौसम ठंडा और घना कोहरा था, जिससे दृश्यता बहुत कम हो गई थी। थोड़ी देर बाद, उन्होंने देखा कि बस के अंदर कुछ अजीब हो रहा था। बस के अंदर की लाइट्स चमकने लगीं और अजीब-अजीब आवाजें आने लगीं। प्रियांशु ने बस के अंदर झाँककर देखा तो उसके ह
एक गरीब जूते पालिस करने वाले लडके की कहानी
एक सज्जन रेलवे स्टेशन पर बैठे गाड़ी की प्रतीक्षा कर रहे थे तभी जूते पॉलिश करने वाला एक लड़का आकर बोला~ ‘‘साहब! बूट पॉलिश कर दूँ ?’’ उसकी दयनीय सूरत देखकर उन्होंने अपने जूते आगे बढ़ा दिये, बोले- ‘‘लो, पर ठीक से चमकाना।’’ लड़के ने काम तो शुरू किया परंतु अन्य पॉलिशवालों की तरह उसमें स्फूर्ति नहीं थी। वे बोले~ ‘‘कैसे ढीले-ढीले काम करते हो? जल्दी-जल्दी हाथ चलाओ !’’ वह लड़का मौन रहा। इतने में दूसरा लड़का आया। उसने इस लड़के को तुरंत अलग कर दिया और स्वयं फटाफट काम में जुट गया। पहले वाला गूँगे की तरह एक ओर खड़ा रहा। दूसरे ने जूते चमका दिये। ‘पैसे किसे देने हैं?’ इस पर विचार करते हुए उन्होंने जेब में हाथ डाला। उन्हें लगा कि ‘अब इन दोनों में पैसों के लिए झगड़ा या मारपीट होगी।’ फिर उन्होंने सोचा, ‘जिसने काम किया, उसे ही दाम मिलना चाहिए।’ इसलिए उन्होंने बाद में आनेवाले लड़के को पैसे दे दिये। उसने पैसे ले तो लिये परंतु पहले वाले लड़के की हथेली पर रख दिये। प्रेम से उसकी पीठ थपथपायी और चल दिया। वह आदमी विस्मित नेत्रों से देखता रहा। उसने लड़के को तुरंत वापस बुलाया और पूछा~ ‘‘यह क्या चक्कर है?’’ लड़का बोला~ ‘‘साह
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें