राजू डॉक्टर उर्फ़ राजीव भारती की कहानी

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राजू डॉक्टर उर्फ़ राजीव भारती की कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है जिसने अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे और फिर अपनी अदम्य इच्छा शक्ति से समाज में अपना एक स्थान बनाया।  राजीव भारती का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था। बचपन से ही वे पढ़ाई में बहुत होशियार थे और डॉक्टर बनने का सपना देखते थे। परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी, लेकिन उनके माता-पिता ने उन्हें हर संभव मदद दी।  राजीव ने मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लिया और अपनी मेहनत और लगन से डॉक्टर बनने का सपना पूरा किया। उन्होंने अपने पेशे में कदम रखा और धीरे-धीरे अपने ज्ञान और कौशल के बल पर एक प्रतिष्ठित डॉक्टर बन गए।  उनके जीवन में एक बड़ा मोड़ तब आया जब उन्हें समाज के गरीब और जरूरतमंद लोगों की सेवा करने की प्रेरणा मिली। उन्होंने अपने पेशे को केवल कमाई का साधन नहीं माना, बल्कि इसे सेवा का एक माध्यम बना लिया। राजीव ने गरीबों और वंचितों के लिए मुफ्त चिकित्सा सेवा देना शुरू किया। इस सेवा भावना के कारण उन्हें 'राजू डॉक्टर' के नाम से जाना जाने लगा।  राजू डॉक्टर ने न केवल चिकित्सा सेवा दी, बल्कि अपने कार्यों से समा...

खरगोश और कछुए की कहानी का मजेदार किस्सा || Hindi Kahani

खरगोश और कछुए की कहानी का मजेदार किस्सा ||  Hindi Kahani


यह कहानी है एक खरगोश और कछुए की, जो एक जंगल में रहते थे। खरगोश बहुत तेज दौड़ता था और इस पर उसे बहुत घमंड था। दूसरी ओर, कछुआ बहुत धीरे चलता था, लेकिन वह धैर्यवान और मेहनती था।

एक दिन, खरगोश ने कछुए का मजाक उड़ाते हुए कहा, "तुम बहुत धीरे चलते हो। तुम्हारे साथ कोई भी दौड़ आसानी से जीत सकता है।" कछुए ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "हो सकता है, लेकिन क्यों न हम एक दौड़ लगाएं और देखें कौन जीतता है?" खरगोश ने हँसते हुए इस चुनौती को स्वीकार कर लिया।

दौड़ का दिन आया और सभी जानवरों ने एकत्र होकर दौड़ शुरू होने का इंतजार किया। दौड़ शुरू होते ही, खरगोश तेजी से दौड़ पड़ा और जल्दी ही कछुए से काफी आगे निकल गया। उसने देखा कि कछुआ अभी भी बहुत पीछे है, तो उसने सोचा कि क्यों न थोड़ा आराम कर लिया जाए। खरगोश एक पेड़ के नीचे लेट गया और जल्दी ही सो गया।

कछुआ धीरे-धीरे लेकिन निरंतर आगे बढ़ता रहा। उसने बिना रुके अपनी यात्रा जारी रखी और आखिरकार खरगोश को सोते हुए देखा। कछुआ मुस्कुराया और चुपचाप आगे बढ़ता रहा। थोड़ी देर बाद, कछुआ जीत की रेखा के पास पहुँच गया।

जब खरगोश की नींद खुली, तो उसने देखा कि कछुआ लगभग जीत की रेखा तक पहुँच चुका है। उसने पूरी कोशिश की, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। कछुए ने दौड़ जीत ली थी।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि धैर्य और निरंतर प्रयास से हम जीवन में किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। घमंड और आलस्य से केवल हार ही मिलती है।

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