भूतिया हवेली की खौफनाक रात || Xafar Space

भूतिया हवेली की खौफनाक रात || Xafar Space 


रात के अंधेरे में गांव के एक किनारे पर स्थित वह पुरानी हवेली, सालों से वीरान पड़ी थी। गांव वालों का कहना था कि उस हवेली में भूत-प्रेत का वास है। कई बार लोगों ने वहां से चीखें और अजीबोगरीब आवाजें सुनी थीं। लेकिन किसी में हिम्मत नहीं थी कि वह वहां जाकर सच्चाई का पता लगाएं।


एक दिन, चार दोस्त - अर्जुन, रोहित, सीमा और साक्षी ने तय किया कि वे इस रहस्य को सुलझाने के लिए हवेली में रात बिताएंगे। उन्हें किसी भी तरह के भूत-प्रेत पर यकीन नहीं था। वे मानते थे कि यह सब अंधविश्वास है। 


रात होते ही वे चारों हवेली में पहुंचे। हवेली की पुरानी दीवारों पर जाले और दरारें साफ दिखाई दे रही थीं। अंदर कदम रखते ही एक ठंडी हवा का झोंका आया, जिसने उनके शरीर में सिहरन पैदा कर दी। लेकिन उन्होंने इसे नजरअंदाज किया और अंदर चले गए।


वे चारों एक बड़े कमरे में पहुंचे। वहां की दीवारों पर पुराने समय की तस्वीरें लटकी हुई थीं। अचानक, एक तस्वीर खुद-ब-खुद दीवार से गिर गई। सीमा ने घबराकर अर्जुन का हाथ पकड़ा, लेकिन अर्जुन ने उसे शांत रहने को कहा। उन्होंने अपना टॉर्च ऑन किया और हवेली का निरीक्षण करना शुरू किया।


जैसे ही वे दूसरे कमरे में गए, दरवाजा जोर से बंद हो गया। चारों चौंक गए। साक्षी ने तुरंत दरवाजा खोलने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं खुला। अचानक, कमरे के एक कोने से धीमी-धीमी हंसी की आवाज सुनाई देने लगी। उन्होंने देखा कि एक धुंधली आकृति धीरे-धीरे उनकी ओर बढ़ रही है। 


अर्जुन ने हिम्मत कर कहा, "कौन हो तुम? क्या चाहते हो?"


वह आकृति एक बूढ़े आदमी की थी, जिसके चेहरे पर गहरे कट और खून के धब्बे थे। उसने धीमी आवाज में कहा, "तुमने इस हवेली में कदम रखकर बहुत बड़ी गलती की है। अब तुम यहां से जिंदा नहीं जा सकते।"


चारों दोस्तों के चेहरों का रंग उड़ गया। उन्होंने देखा कि उस आदमी के पीछे और भी कई भूतिया आकृतियां दिखाई देने लगीं। वे चारों भागने की कोशिश करने लगे, लेकिन उनके पैरों ने काम करना बंद कर दिया। 


वह बूढ़ा आदमी धीरे-धीरे उनके पास आया और बोला, "यह हवेली हमारे खून से रंगी हुई है। जो भी यहां आता है, वह कभी वापस नहीं जाता।" इतना कहते ही, हवेली की दीवारों से खून टपकने लगा, और चारों दोस्तों की चीखें पूरे गांव में गूंज उठीं।


अगले दिन सुबह, गांव वालों ने देखा कि हवेली का दरवाजा खुला था, लेकिन अंदर कोई नहीं था। चारों दोस्तों का कोई नामोनिशान नहीं मिला। बस हवेली के अंदर खून से सने कुछ कपड़े और उनकी डर से फटी आंखों की छवि दीवारों पर रह गई।


वह हवेली फिर से वीरान हो गई, और गांव वालों ने तय किया कि अब कोई भी उस हवेली के करीब नहीं जाएगा। हवेली की खौफनाक रात का रहस्य कभी सुलझ नहीं पाया, और वह हवेली हमेशा के लिए एक रहस्य बनकर रह गई।


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