एक ईमानदार गरीब की कहानी || Xafar Space
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एक ईमानदार गरीब की कहानी || Xafar Space
बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में एक ईमानदार गरीब आदमी रहता था। उसका नाम रमेश था। रमेश बहुत मेहनती और नेकदिल इंसान था। वह हर दिन मेहनत करता, पर उसकी आमदनी बहुत कम थी। उसकी पत्नी, सरला, और दो छोटे बच्चे थे।
रमेश का जीवन कठिनाईयों से भरा था, लेकिन उसने कभी इमानदारी का साथ नहीं छोड़ा। एक दिन, जब रमेश काम से लौट रहा था, उसे रास्ते में एक थैली पड़ी मिली। थैली खोलकर देखा तो उसमें सोने के सिक्के भरे थे। रमेश को समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे।
कुछ पल के लिए उसने सोचा कि अगर वह इन सिक्कों को रख ले तो उसकी गरीबी दूर हो सकती है, और वह अपने परिवार को अच्छा जीवन दे सकता है। लेकिन उसकी इमानदारी ने उसे ऐसा करने से रोक दिया। उसने थैली को उठाया और गाँव के मुखिया के पास जाकर उसे सौंप दिया।
मुखिया ने रमेश की इमानदारी देखकर उसे धन्यवाद दिया और पूछा कि वह इससे क्या चाहता है। रमेश ने सिर झुका कर कहा, "मैं कुछ नहीं चाहता, बस इतना चाहता हूँ कि मालिक को उसका धन वापस मिल जाए।"
मुखिया ने उस सोने की थैली के असली मालिक को बुलाया। वह व्यक्ति बहुत अमीर था और उसने रमेश की इमानदारी से प्रभावित होकर उसे इनाम में आधी थैली देने का निर्णय लिया। लेकिन रमेश ने विनम्रता से इनाम लेने से इंकार कर दिया। उसने कहा, "मैंने जो किया वह मेरा कर्तव्य था।"
अमीर व्यक्ति ने उसकी इमानदारी की सराहना की और गाँव के सभी लोगों के सामने उसकी तारीफ की। गाँव के मुखिया ने रमेश को गाँव का सबसे इमंदर व्यक्ति घोषित किया और उसे सम्मानित किया।
इस घटना के बाद, रमेश की इमानदारी की चर्चा पूरे गाँव में होने लगी। गाँव के लोग उसकी मदद के लिए आगे आए, और धीरे-धीरे उसकी आर्थिक स्थिति में सुधार होने लगा।
रमेश की कहानी यह सिखाती है कि इमानदारी का फल हमेशा मीठा होता है। चाहे कठिनाइयाँ कितनी भी बड़ी क्यों न हों, अगर इंसान अपने सिद्धांतों पर अडिग रहता है, तो अंत में उसकी जीत होती है।
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